सनातन धर्म में पुराने समय से ही प्रकृति को संदेश वाहक माना गया है। हवाओं का रुख बदलता है तो मौसम का अंदाजा होता है। पक्षियों की चहचहाहट का अंदाज बदले तो इसे आने वाली खुशियों या फिर परेशानियों का संदेश माना जाता है। कुल मिलाकर इनसे शगुन-अपशगुन का भेद भी माना जाता है। हालांकि विज्ञान में इनका कोई आधार नहीं है लेकिन अक्सर ये बातें मानी जाती हैं। आज भी लोग पुरातन काल से चली आ रहीं इन बातों पर पूरा विश्वास रखते हैं और इन्हें फॉलो करने की भी कोशिश करते हैं। ऐसा ही एक अशुभ संकेत होता है छत पर उल्लू और पेड़ पर गिद्ध के बैठने का। तो आइए ऐसे ही कुछ और पक्षियों और वन्यजीवों से जुड़ें शगुन-अपशगुन के बारे में जानते हैं कि यदि ऐसा हो तो क्या करना चाहिए?
from राशिफल - विडियो - Navbharat Times https://ift.tt/32QwhzL
No comments:
Post a Comment