मृत्यु अकाट्य सत्य है चाहे आप कुछ भी सोचें, कुछ भी करें लेकिन मृत्यु होनी ही होनी है। गीता और दूसरे ग्रंथों की मानें तो जो मरता है वह पैदा भी होता है और जो पैदा होता है वह मरता भी है और इसी तरह जीवन का चक्र चलता रहता है। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठता रहता है कि उनका पूर्वजन्म कैसा रहा। पूर्वजन्म के रहस्यों से पर्दा हटाने का कुछ कार्य ज्योतिषशास्त्र भी करता है। आइए ज्योतिषशास्त्र की मदद से जानते हैं कि पूर्वजन्म कैसा रहा, कैसे देहत्याग किया।
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