मूल नक्षत्र के बारे में आपने भी जरूर सुना होगा, लोगों के मन में इस नक्षत्र को लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं। कई लोग इस नक्षत्र को अशुभ मानते हैं। जब इस नक्षत्र में किसी का जन्म होता है तो लोग चिंतित होने लगते हैं और सोचने लगते हैं कि अब आगे क्या होगा। कई लोग मूल नक्षत्र की शांति के लिए उपाय भी करते हैं। मूल नक्षत्र का सच क्या है आइए इस बारे में चर्चा करते हैं।मूल नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु को माना जाता है और इस नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि में आते हैं इसलिए बृहस्पति ग्रह का प्रभाव भी इस नक्षत्र के जातकों पर देखने को मिलता है। मूल नक्षत्र के प्रथम चरण में कोई जातक जन्म लेता है तो पिता के जीवन में कुछ परिवर्तन दिखने को मिलते हैं, यह अच्छे भी हो सकते हैं और बुरे भी। द्वितीय चरण में जन्म लेने वाले जातकों की माता को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। तृतीय चरण में पैदा होने वाला जातक अपनी संपत्ति को बर्बाद कर सकता है वहीं चतुर्थ चरण में जन्मा जातक सुखी और समृद्धि होता है।
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