देवी दुर्गा के नौ रूप होते हैं और नवरात्र के नवें दिन माता के नवम स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि के नवें दिन माता सिद्धिदात्री की ही पूजा क्यों की जाती है। दरअसल, नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्त माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते हैं और उनसे सिद्धियां प्राप्त करने की कामना करते हैं। नवरात्रि के नवम दिन भक्तों को सिद्धि की प्राप्ति हो इसलिए इस दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से सभी कामनाएं पूरी होती हैं। माता सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली और अपने भक्तों पर कृपा करने वाली हैं। माता सिद्धिदात्री को लेकर कथा है कि, संसार के प्रारंभ में भगवान शिव ने सृजन के लिए पराशक्ति की अराधना की थी। लेकिन पराशक्ति का कोई रूप नहीं है इसलिए देवी भगवान शिव के वाम अंग से माता सिद्धिदात्री के रूप में अवतरित हुई। चूंकि माता भगवान शिव के वाम अंग से प्रकट हुईं इसलिए इन्हें अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने माता की कृपा से ही सिद्धियां प्राप्त की थीं।
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