ज्योतिष विज्ञान में सूर्य को राजा का- दर्जा प्राप्त है और यह पिता, राजनीति, नेतृत्व क्षमता, आत्मा, सरकारी कार्य या नौकरी आदि का कारक माना गया है। वहीं चंद्रमा को माता, मन आदि का कारक माना जाता है। इन दोनों ग्रहों की स्थिति का कुंडली में अच्छा होना जातक को कई परेशानियों से दूर कर देता है, क्योंकि एक आत्मा का कारक ग्रह है और दूसरा मन का। जब मन और आत्मा संतुलन में रहेगी तो सभी कार्यों में व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही सूर्य चंद्रमा को ज्योतिष में राजा-रानी भी कहा जाता है। सूर्य चंद्र का सम्बन्ध शुभ और अशुभ दोनों प्रकार का माना गया है। चंद्र, सूर्य से जितना दूर होता है उतना ही शक्तिशाली हो जाता है। वहीं जब भी यह दोनों ग्रह कुंडली में युति बनाते हैं तो इसे अमावस्या योग कहा जाता है। यह योग अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि चंद्रमा जब सूर्य के निकट होते हैं तो वह अपनी शीतलता खो बैठते हैं और अशुभ फल देने लगते हैं। अमावस्या योग के होने से चंद्रमा के शुभ फल व्यक्ति को प्राप्त नहीं होते। वहीं जब कुंडली में यह दोनों ग्रह दृष्टि संबंध यानी प्रतियुति बनाते हैं तो शुभ फलों की प्राप्ति जातक को होती है।
from राशिफल - वीडियो - Navbharat Times https://ift.tt/3xhUnlN
No comments:
Post a Comment